मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

भारतीय वायु सेना को सलाम


भारतीय वायु सेना को मेरा सलाम।

इस लेख की शुरुआत इससे बहतर और क्या हो सकती है। आतंकवाद के खात्मे की ओर आज शायद सेना का पहला सफल कदम रहा है ये। जैश आतंकी केम्प और अन्य आतंकी केंपों को निस्तेनाबूत कर के 200 से अधिक आतंकियों को उनके खुदा के पास पहुंचा दिया गया। जहां तय होगा कि उन्हें जन्नत की हूरें मिलेंगी या जहन्नुम में खौलते तेल की कढ़ाई। इस हमले का पूरा-पूरा श्रेय भारतीय वायु सेना के जवानों को ही जाता है। किसी और को बिलकुल नहीं। 1971 में किया गया एयर स्ट्राइक एक बार फिर याद दिला दिया भारतीय वायु सेना ने। फिर से इतिहास दोहराए जाने का समय आ गया है। पाकिस्तान को आतंकवाद पालना छोड़ना होगा, समर्पण करना होगा और आतंकवाद अब भारत के समक्ष घुटने टेकेगा।

POK (Pakistan Occupied Kashmir) यानि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर असल में पाकिस्तान नहीं है। वो हिंदुस्तान का ही अपना हिस्सा है और उसे पाकिस्तान ने हथिया रखा है जहां वो आतंकियों को पालता है। वहाँ किसी भी तरह के सिविलियन्स या साधारण जनता की रिहाइश नहीं है। समय आ गया है कि कश्मीर का वो हिस्सा पाकिस्तान से अब वापस ले लिया जाए और हमेशा-हमेशा के लिए कश्मीर की समस्या का अंत हो।  

वर्तमान प्रधानमंत्री ने भारतीय सेनाओं को फ्री हेंड दे कर वाकई प्रशंसनीय कार्य किया है। पर जैसा कि उन्होने सत्ता में आने से पहले वादे किए थे कि आतंकवाद हार जाएगा 56 इंच की छाती के सामने, पाकिस्तान घुटने टेकेगा इत्यादि। उसके लिए उन्होने पहले ही हमले के बाद यदि ये निर्णय ले लिया होता तो पठानकोट, गुरदासपुर और फिर पुलवामा में न जाने इतने वीर जवान शहीद होने से बच जाते। अब चुनाव सिर पर खड़ा है तो उनका ये कदम सराहनीय हो कर भी थोड़ा सशंकित करता है।

इस सब में विपक्ष की सराहना भी आवश्यक है जिसने इन मुश्किल हालातों में प्रधानमंत्री या सरकार से इस्तीफे मांगने और जवानों की शहादत पर राजनीति करने के बजाए सरकार का साथ देने और भारत को एक जुट लाने का निर्णय लिया। विपक्ष ने अपने इस रवैये से एक मिसाल कायम की है। वाकई ये समय नहीं जहां पक्ष और विपक्ष की सरकारों की तुलना या अच्छाई-बुराई की जाए। इस समय की मांग है सख़्त होने की। आतंकवाद पर पूरी तरह से पिल जाने की।

पिछले 5 सालों में पाकिस्तान की तरफ से कई बार शांति का उल्लंघन हुआ, कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया। ये आंकड़ा अब तक का सबसे अधिक घटनाओं का आंकड़ा है। प्रधानमंत्री जी ने एक्शन लेने में काफी समय लगा दिया। हालांकि युद्ध इस समस्या का समाधान नहीं है और सिंधु नदी का पानी रोकना भी उचित नहीं। इसके पीछे मानवता से अधिक भौगोलिक कारण हैं। जो चोट पाकिस्तान को व्यापारिक समझौतों पर 200 प्रतिशत तक बढ़ाई गयी कस्टम ड्यूटि से पड़ी है उससे उसकी कमर ज़रूर टूटी है। साथ ही सारे विश्व में पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित किया जाना अति आवश्यक है। पाकिस्तान से उसकी परमाणु शक्ति को छीन लिया जाना चाहिए।

समय आ गया है माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अपनी प्राथमिकताओं को समझें। सेलफ़ी लेना, किसी फिल्म की शूटिंग में शामिल होना, पुरस्कार इकट्ठे करना और चुनावी रैलियाँ करने से अधिक आवश्यक कार्य भी हैं उनके लिए। हालांकि, अब तक के कार्यकाल में रोजगार, शांति-एकता, जीडीपी, किसान और कृषि, कहने का अर्थ है देश के लगभग हर आवश्यक पक्ष पर प्रधानमंत्री जी फेल हुए हैं। फिर भी चुनाव से पहले पुलवामा हमले ने उन्हें एक मौका दे दिया है, आतंकवाद के खिलाफ अपने कहे हुए कदम उठाने और देश के प्रति अपनी निष्ठा और सत्यता का प्रमाण देने का। झूठे वादों और झूठी प्रशंसा बटोरने से ऊपर उठ कर वाकई स्वयं को प्रमाणित करने का मोदी जी के लिए यही सही समय है।   

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

डियर मि. प्राइम मिनिस्टर-हाऊज़ द जोश


इस लेख को आरंभ करने से पहले ही स्पष्ट कर दूँ ना तो मैं किसी रजिनितिक पार्टी विशेष के पक्ष में लिखने जा रही हूँ ना ही विपक्ष में। मुझे भक्त या गुलाम जैसे शब्दों से अत्यंत घृणा है। मुझे ऐसी किसी भी श्रेणी में रखने से पहले ये समझ लीजिएगा कि मैं इन घृणात्मक तुलनाओं से कहीं ऊपर एक अति साधारण परंतु जागरूक मतदाता हूँ। जो अपना मत देते समय जाति-धर्म-समुदाय या पार्टी विशेष से प्रभावित हो कर मतदान नहीं करती। अपितु तर्क संगत प्रक्रिया से अपना मत उसे देती है जो उसके लायक है।

इस लेख के माध्यम से मैं सीधे प्रधानमंत्री जी से सवाल करना चाहती हूँ। ध्यान रखें ये सवाल वर्तमान प्रधानमंत्री से है ना कि किसी व्यक्ति विशेष से। इस समय किसी भी पार्टी का कोई भी प्रधानमंत्री होता, मेरा सवाल उससे ऐसा ही होता।

डीयर मि. प्राइम मिनिस्टर-हाउज़ द जोश नाव
माननीय प्रधानमंत्री जी, अब आपके अंदर का जोश कैसा है? सत्ता में आने से पूर्व आपने भारत की जनता को बहुत सारे झूठे वादों और जुमलों से लालायित कर उनका मत जीता था। जिनमें से आतंकवाद को पूरी तरह से मिटा देने वाला आपका जुमला सबसे अधिक सराहा गया था। पाकिस्तान आपसे डरता है। आप सर काट लाएँगे। डिमोनेटाइज़ेशन तो किया ही आतंकवाद पर चोट करने के लिए था। अभी कुछ ही दिनों पूर्व आपने कश्मीर की सुंदर वादियों में फोटो सेशन भी कराया। पता नहीं आप किसे देख कर हांथ हिला कर अभिवादन कर रहे थे। शायद वादियों को। पर अब बताइये पुलवामा हमले के बाद अब आपके अंदर का जोश कैसा है? आपके 56 इंच के वक्षस्थल पर आतंकवाद खड़े हो कर मूत्रविसर्जन कर के गया है। कैसा महसूस कर रहे हैं?

कश्मीर जैसी जगह में इतनी बड़ी मात्रा में बारूद का इकट्ठा होना, आखिर किस की मदद से हुआ ये? पिछली सरकार के समय भी मिलिट्री अपना काम बराबर कर रही थी। कई सर्जिकल स्ट्राइक्स हुईं। पर उन्हें कभी समझ ही नहीं आया कि इस का भी प्रचार करना चाहिए या फिल्म बन कर आनी चाहिए। आपके कार्यकाल में भी आर्मी अपना काम कर रही है भले ही पहले से कम सुविधाओं और बढ़े हुए मुश्किल हालातों में। पर आपको तो उनके द्वारा सरहद पर दी गयी जान का भी क्रेडिट लेना है। आपके और आपके समर्थकों के पास कहने के लिए एक ही बात है “क्या पिछली सरकार में जवान मरते नहीं थे?”

अत्यंत सुंदर सोच और अत्यंत सुंदर तुलना। ऐसी मनसिकताओं को मेरा दूर से प्रणाम। भारत का इंटेलिजेंस ब्यूरो कारगिल, कंधार, गुरदासपुर, पठानकोट लगभग सभी जगह फेल हुआ है। पर फिर भी वो हीरो है और हम उसकी फिल्म बहुत चाव से देख कर आते हैं। हमारे लिए तो ये ही देशप्रेम है। पुलवामा में भी यही हुआ। एक और फिल्म बननी चाहिए। पुलिस, आर्मी, मिलिटरी, सभी जगह वर्दी, खाना, सुविधाओं और तो और हथियारों तक में कटौती आपकी ही देन है चूंकि वहाँ से निकाला गया पैसा आपको व्यापारी विशेषों के उत्थान में लगाना है।

मैं तो कहती हूँ एक बार फिर जाइए और वहाँ जहां हमला हुआ, उसी जगह पर उन जली हुई गाड़ियों के सामने खड़े हो कर सेल्फ़ी लीजिये, उन जवानों के शरीर के चिथड़ों के साथ फोटो सेशन कराइए और उसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ोर्म्स पर शेयर करना मत भूलिएगा। आप बहुत से लोगों की शान है, उनके लिए आप आखिरी उम्मीद हैं। आपके प्रशंसक और समर्थकों ने आपको इस मसले से बचा ले जाने के लिए अन्य गणमान्य व्यक्तियों के डॉक्टर्ड वीडियोज़ भी लाने आरंभ कर दिये हैं। अब आप बताएं आप कड़ी निंदा करेंगे, दुख व्यक्त करेंगे या इस बार अपनी 56 इंच की छाती आतंकवादियों के सामने कर देंगे।

खून के बदले खून, लाशों के बदले लाशें अगर इस समस्या का समाधान होता तो अमरीका कब का अफगानिस्तान और इराक पर अपना वर्चस्व स्थापित कर चुका होता। फिर इस समस्या का समाधान क्या है? हमें तो बस अब तक ये ही पता था कि आप का 56 इंच का वक्ष ही सारा समाधान है। जगह-जगह आपने रैलियों में चिल्ला-चिल्ला कर झूठ बोला है कि आपके कार्य काल में आतंकवादी हमले ना के बराबर हुए हैं। पर क्या करें जनता अधिक नहीं पर थोड़ी जागरूक है। आज जनता के पास आपसे अधिक जानकारी और आंकड़े होते हैं। अक्सर आपके पास त्रुटिपूर्ण आंकड़े ही होते हैं जिनका आप पूरे दम से खुले आम प्रचार करते हैं और आपको ज़रा भी शर्म नहीं आती। ख़ैर आपको कैसी शर्म?

पाकिस्तान को निसते नाबूत करने चले थे आप पर देखिये ना नवाज़ शरीफ को शौल उढ़ा कर, और उनके जन्मदिन में बिना बुलाये पहुँच कर भोज में शामिल हो कर आप फुर्सत हो लिए। यहाँ तक कि आज तक पाकिस्तान से व्यापारिक समझौते भी तोड़ नहीं पाये। नवाज़ शरीफ तो भ्रष्टाचार के आरोप में जेल चले गए। हम अभी तक अपने देश में इतनी उन्नति ला ही नहीं पाये जो किसी का भी भ्रष्टाचार सिद्ध कर पाएँ और उसे जेल भेज पाएँ। प्रधानमंत्री का भ्रष्टाचार सिद्ध करना तो अविश्वासनीय सी बात है। आपके परम मित्र जेल चले गए तो अब पाकिस्तान से कैसी कोई वार्ता?

चलिये ख़ैर जो भी हो। एक और फिल्म बने। कुछ दिन शोक चले या 15 अगस्त पर शहीदों के परिवार को मेडल दिये जाएँ। माताएँ इसी प्रकार बलिदान देने के लिए अपनी संतानों को तैयार करती रहेंगी। हाँ! पर मुझे इस बात का डर अवश्य है कि कोई दिन ऐसा ना जाए कि सरकार के भ्रष्टाचार, राजनीतिक नपुंसकता और देश के अंदरूनी द्रोहियों से त्रस्त हो कर भारत के परिवार अपनी संतान को देश सुरक्षा के लिए भेजना बंद ही कर दे।  

So once again I ask you. Dear Mr. Prime Minister Howz the josh?
#PulwamaAttack


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अनुच्छेद 370 पर सरकार का ऐतिहासिक निर्णय- मेरे विचार

आवश्यक नहीं कि हर मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी ही जाए और कुछ लिखा-बोला ही जाए। पर बात जब कश्मीर कि आती है तो भारत का बच्चा-बच्चा बोलता है और ...