काफी समय से सोशल
नेटवर्क पर लोगों का एक नया ओबसेशन देख रही हूँ। उन्हें नरेंद्र मोदी जैसा पुत्र अपेक्षित
है। जिनके पास पहले ही संतान है वो अगले जन्म के लिए ईश्वर से मांग रहे हैं और जिन्हें
अभी संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ वो इसी जन्म के लिए। तो वो जिनके बेटा अभी छोटा है, उसे नरेंद्र मोदी जैसा बनाना चाहते हैं। तो कुछ केवल ये बात इसलिए कहते या
लिखते हैं क्यूंकी वो सरे आम राहुल गांधी को एक व्यर्थ या दुर्बल संतान बता कर उनका
उपहास उड़ाना चाहते हैं।
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री
माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी, हो सकता
है एक अच्छे नेता/राजनेता हों (कुछ ही प्रतिशत जनता की दृष्टि में) पर क्या एक संतान
या पुत्र के रूप में ईश्वर से मांगने के लिए मात्र उनका ऊपरी/बाहरी आवरण ही काफी है।
क्या उनके चारित्रिक गुणों/अवगुणों को तोलने की कोई कोई आवश्यकता नहीं?
भारत को उसकी संस्कृति, वेद, उपनिषद और सभ्यता के लिए जाना जाता है। धार्मिक
या ऐतिहासिक युग की चर्चा करें तो माता-पिता अपने लिए देवताओं जैसे संतान की अपेक्षा
करते थे। एक उत्तम संतान प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या करते थे। किसी को बलशाली पुत्र
चाहिए था तो किसी को बुद्धिवान। किसी को महादेव समान तो किसी को श्री हरी विष्णु समान।
माना कि ईश्वर के ये रूप भी पूरी तरह से उत्तम नहीं है। सबके अंदर उनके भिन्न-भिन्न
प्रकार के दोष हैं। पर उनकी चारित्रिक विशेषताएँ, उनका देवत्व
और उनके दिव्य गुण उन दोषों को ना केवल ढक देते हैं बल्कि उनके अवगुणों से उबरने की
कथा भी सुनाते हैं।
अब क्या इतना धार्मिक
और सामाजिक पतन हो चला है कि पुत्र या संतान की कामना करने से पूर्व हम भूल गए है कि
भविष्य में वो ही संतान हमारा भविष्य निर्धारित करेगी। क्या आप एक ऐसी संतान चाहेंगे
जो आपका धन चुरा कर घर से भाग जाए? अपनी माँ, अपनी पत्नी, अपने परिवार को अलग-थलग छोड़ भूल जाए। क्या
किसी माँ को ऐसी संतान की कामना है जो उसकी वृद्धावस्था में उसे उसके हाल पर छोड़ दे
और लंबी लाइनों में केवल इसलिए खड़ा करे क्यूंकी उनकी एक तस्वीर से उसे लाभ मिलेगा, उसकी स्वार्थपूर्ति होगी। क्या आपको ऐसी संतान चाहिए जिसके लिए उसका अहम इतना
बड़ा हो कि उसके आगे वो अपनी स्त्री का भी परित्याग करे।
यदि हाँ, तो फिर अपने बच्चों को महंगे स्कूलों में पढ़ाना बंद कीजिये। क्यूंकी डिग्री
कमा के तो वो केवल 9-5 की नौकरी ही कर पाएंगे। या डॉक्टर, इंजीनियर
बन जाएँ शायद। नरेंद्र मोदी बनाना है तो पढ़ाई से कोई वास्ता नहीं होना चाहिए। सबसे
पहले किसी चाय की दुकान पर उसकी नौकरी लगवाइए। बाकी वो अपना रास्ता स्वयं बना लेगा।
वो सीखेगा कैसे वहाँ के नाले से स्टोव जलाने के लिए गैस बनाई जाती है। महनत करते हुए
सीखेगा कि क्लाइमेट चेंज नहीं हो रहा हम बुड्ढे हो रहे हैं। वो सारा इतिहास भी सीखेगा
जो कभी घटा नहीं और वो भी सीखेगा जो इतिहास में घटा उसे झूठा कैसे सिद्ध किया जाए।
आपका पुत्र सीखेगा कैसे अपनी सत्ता बचाने के लिए दंगे कराये जाते हैं। ट्रेन में आग
लगवाई जाती है। मासूमों की लाशों पर पैर रख खड़े हो कर सत्ता की बुनियाद रखी जाती है।
नरेंद्र मोदी बन कर
ही पता चलता है कि असल में दिल्ली में लाल किला नहीं बल्कि लाल दरवाज़ा है। गांधी जी
का पूरा नाम मोहनदास नहीं मोहनलाल करमचंद गांधी था। क्लाइमेट चेंज जैसी कोई चीज़ नहीं
होती। नाले से गैस निकलती है जिसे खाना पकाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। स्ट्रेन्थ
कि स्पेलिंग STRENH होती है। नेहरू जी कभी
भगत सिंह से मिलने नहीं गए। साथ ही पिछले 70 सालों से हम पत्थर युग (stone age) में जी रहे थे। 2014 के बाद ही हमें भाषा का ज्ञान
आया है उससे पहले तक हम civilization में भी नहीं थे। नथुराम
गोडसे एक हत्यारा नहीं राष्ट्रभक्त था। डिस्लेक्सिया (Dyslexia) उपहास उड़ाने वाली मानसिक स्थिति है। भारत में 2014 के चुनाव में 600 करोड़
मतदाताओं ने मत दे कर उन्हें बहुमत दिया।
ख़ैर, मुझे क्या? ये आपकी समझ और आपका विवेक, आपकी सोच और आपकी परवरिश। जहां ले जाए वैसा बनाइये अपनी संतान को। भविष्य
में वो राजनायक बनेगा या नहीं इसकी चिंता कतई मत कीजिये क्यूंकी भारत में अब शासन करने
या सरकार बनाने के लिए शिक्षा का कोई महत्व रह नहीं गया है। झूठ, मक्कारी, लालच, और मस्तिष्क साफ
कर देने की कला, पत्रकारिता को खरीद लेने की क्षमता, घृणा और भेदभाव फैलाने की महारत ही काफी है। पर ये सदा याद रखिएगा कि भविष्य
में आप उसे दोष नहीं दे पाएंगे कि वो स्वार्थी है या आपको एकल छोड़ अपने स्वार्थी जीवन
में मस्त है। या शायद आप दोष देना भी ना चाहें क्यूंकी वो तो नरेंद्र मोदी बन चुका
होगा।
बिल्कुल ठीक और दो टूक बातें कही हैं आपने । अगर पढ़ना उचित समझें तो अपने एक लेख का लिंक दे रहा हूँ :
जवाब देंहटाएंhttp://jitendramathur.blogspot.com/2017/02/blog-post.html
धन्यवाद। जी बिल्कुल पढ़ा मैंने।
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