सोमवार, 25 मार्च 2019

आखिर कॉंग्रेस ने देश के लिए किया क्या?


70 सालों में आखिर कॉंग्रेस ने देश को दिया ही क्या है? एक क्षण ज़रा रुकिए। जब हम पिछले 70 सालों की बात करते हैं तो ये भूल ही जाते हैं कि उन 70 सालों में कई बार अन्य दलों ने भी अपनी सरकार बनाई। जैसे सन 1977-1980 तक जनता पार्टी ने अपनी सरकार चलायी। फिर 1989-1990 तक जनता दल आया। 1996-1998 तक यूनाइटिड फ्रंट उसके बाद 1998-2004 तक भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सरकार चलायी। उसके बाद 2014 से फिर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है। तो अगर 2019 तक भारत को स्वतंत्र हुए 72 साल हो गए उसमें से 12 सालों का योगदान कॉंग्रेस का नहीं है। पर ये सिद्ध होता है कि बाकी बचे 60 सालों के शासन ने भारतीय राजनीति (अच्छी या बुरी) और देश की उन्नति की जो नींव रखी वो वैसे ही बरकरार है।

अब बात करते हैं कि आखिर कॉंग्रेस ने इन 60 सालों में भारत को दिया क्या? भारत के लिए किया क्या?

IIT की स्थापना करते वक़्त पता नहीं कॉंग्रेसी प्रधानमंत्री ने क्या सोचा होगा। देश से इंजीनियर निकालेंगे। मशीने बनाएँगे। अब बताओ जब सारे काम हांथ से कर ही लेते हैं तो इन मुई मशीनों को बनाने में देश का पैसा और श्रम बर्बाद कर के क्या करना था। क्या तीर मार लिया इंजीनियर्स ने, आखिरकार सारे चाय की टपरियों पर ही तो जमा मिलते हैं। उनसे ज़्यादा तो चायवाला कमा लेता है। तो इस हिसाब से मोदी जी सही हैं और हर भाजपाई सही है। चाय बेचना सबसे बड़ा और पैसेवाला रोजगार है।

AIIMS की स्थापना करते समय और देश को चिकित्सा शिक्षण संस्थान देते समय भी पता नहीं कॉंग्रेस के दिमाग में क्या चल रहा था। अब स्त्री रोग विज्ञान, बाल रोग विज्ञान और केन्सर चिकित्सा इत्यादि में भारत ने प्रगती कर भी ली है तो इससे क्या। बीमारियाँ तो पतंजलि का गौ मूत्र पी कर भी ठीक हो जाती हैं। अब बताइये डॉक्टर्स आखिर करते ही क्या हैं? कमाते ही कितना होंगे? इससे ज़्यादा तो अस्पतालों के बाहर पकोड़े वाला पकोड़े बेच के कमा लेता है। है कि नहीं? मोदी जी फिर सही हैं पकोड़े बेचना एक बेहतरीन रोजगार है।

ISRO की स्थापना करते समय भी कोंग्रेसी प्रधानमंत्री का दिमाग चल गया होगा। अब ये चंद्रयान, मंगलयान, सेटेलाइट्स, वगैहरा की हमें ज़रूरत ही क्या है। चाँद पे राकेश शर्मा घूम आए तो कौन सा बड़ा तीर मार लिया? हम तो अब भी मानते हैं कि चाँद पर एक बुढ़िया बैठी सूत कात रही है। उसके बाद देखिये फिर कॉंग्रेस ने ही परमाणु हथियार, मिसाइल, जेट इत्यादि के बारे में सोचा और देश को उन्नत किया। जल-थल-वायु सेनाओं को सशक्त किया। क्या ज़रूरत है? कोई ज़रूरत थी क्या? किसी के पास उस समय 56 इंच की छाती होती तो बात ही क्या थी। अब इस सब से तो बेहतर था कि थोक में पान की दुकाने खुलवा देते। पान खा कर भी देशवासियों को आनंद आता और पान बेच के रोजगार भी मिलता। पर क्या करें कॉंग्रेस के पास तो ऐसा भाजपायी दृष्टिकोण ही नहीं था।

फिर शिक्षण संस्थान, कंप्यूटर, मोबाइल, इन्टरनेट भी दे डाला इन कमबख़्त कोंग्रेसियों ने। क्या रखा है पढ़ाई-लिखाई में। नेता बनने के लिए तो वैसे भी कोई डिग्री नहीं लगती। इस मोबाइल ने तो नाक में दम ही कर रखा है और ये इन्टरनेट, ये तो सबसे बड़ा सर दर्द है। नहीं-नहीं यहाँ मैं गलत हूँ। इन्टरनेट को तो भाजपा भी मानती है। इसी इन्टरनेट के माध्यम से भाजपा ने असंख्य बेरोजगारों को अपने IT सेल में रोजगार दे रखा है। वो भी इतने सरल से सरलतम कार्य के लिए कि बस बहुत सारा झूठ बोलना और लिखना है। ढेर सारी गालियाँ चुन-चुन कर मारनी हैं। खुलेआम बलात्कार की धमकियाँ देनी हैं और ढेर सारा अपमान करना है।

रही बात शिक्षा की तो चौकीदार बनने के लिए किसी टेक्निकल डिग्री की ज़रूरत नहीं पड़ती। कॉंग्रेस तो व्यर्थ ही डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, वैज्ञानिक और ना जाने क्या-क्या बनाती रह गयी। असल में रोजगार यही है। चाय बेचिए, पकोड़े बनाइये, पान की दुकान चलाइए और फिर विकास की दर बढ़ते-बढ़ते चौकीदार बन जाइए। पिछले पाँच सालों में विकास तो हुआ है। चाय बेचने से बात चौकीदारी तक पहुँच गयी है। याकिन मानिए अगले पाँच साल भाजपा को और दीजिये। चौकीदार का प्रमोशन होगा और पदोन्नति हो कर बात चपरासी तक अवश्य पहुचेंगी। मुझे पूरा यकीन है। ऐसी ज़बरदस्त सोच और दृष्टिकोण  कॉंग्रेस के पास कभी था ही नहीं और कभी हो ही नहीं सकता। मुझे अफसोस है कि मैं उस जेनेरेशन में पैदा हुई, शिक्षित होने के लिए कितना परिश्रम करना पड़ा। कितना पैसा खर्च हुआ। काश मोदी सरकार के शासन के दौरान जन्म लिया होता और शिक्षा अभी आरंभ हुई होती तो पढ़ाई-लिखाई का कोई दबाव ही नहीं होता। आखिर रोजगार के इतने सारे माध्यम जो उपलद्ध हैं।

चलो अब जो भी है। बस मोदी जी से इतना आग्रह है कि वो याद कर लें कि चायवाला, पकोड़ेवाला, पानवाला, गंगा का बेटा और अंततः चोकीदार होने के से पहले और होने के बाद भी वो देश के प्रधानमंत्री भी हैं और उनकी देश के प्रति इस अदम्य निष्ठा को मैं कोटी-कोटी नमन करती हूँ।


4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ! क्या व्यंग्य किया है आपने ! भिगो-भिगोकर मारा है । प्रधानमंत्री तक आपकी बात पहुँचने की सम्भावना तो नहीं है लेकिन क्या लेकिन क्या पता टेलीपैथी से पहुँच जाए ! बहरहाल बहुत ही रोचक, तथ्यपरक एवं सच्चा लेख लिखने के लिए अभिनंदन आपका ।

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  2. Excellent satire .
    I also feel Pt Nehru did nothing useful He should have worked for Sangh mukt Bharat instead of all this IIT IIM etc

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