शनिवार, 2 जून 2018

वो पंडित नेहरू थे।


हमारा संविधान लोकतान्त्रिक आग्रह की अभिव्यक्ति है। संविधान मौलिक अधिकारों और नीति सिद्धांतों का प्रतीक है, जो कई प्रकार की स्वतन्त्रता का आश्वासन देता है। हमारा राज्य एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है जो प्रत्येक समूह, देश के प्रत्येक भाग, प्रांत और क्षेत्र को बराबर मौका प्रदान करता है, राजनीतिक एकता के बारे में बात करना पर्याप्त नहीं है; हमारे पास भावनात्मक एकता होनी चाहिए जो जाति बाधाओं, सांप्रदायिक या धार्मिक बाधाओं के साथ प्रांतीय बाधाओं से दूर हो।“ 
-पंडित जवाहर लाल नेहरू

एक समय था जब राजनैतिक हस्ती होना अपनेआप में एक दायित्व होता था। जिस दायित्व को उठाने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता थी ना सिर्फ अच्छा शिक्षित होना बल्कि व्यावहारिक ज्ञान भी। राजनेताओं को अपनी, देश की और भाषा की गरिमा का भी पूर्णरूप से ध्यान रखना होता था और वे रखते थे। जब कोई नेता या प्रधानमंत्री किसी मंच से देश की जनता को संबोधित करते थे तो उनकी भाषा कितनी सदी हुई, मर्यादापूर्ण और गरिमामय होती थी। उनके शब्द जनता में जोश भर देते थे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री माननीय पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की शिक्षा, भाषण मर्यादा, देश और जनता के लिए समर्पण के हम आज तक कायल हैं। जब कभी भी उन्होने जनता को संबोधित किया चाहे देश में या विदेश में, उनके भाषणों में देश के प्रति समर्पण और चिंता होती थी। न केवल वो देश की समस्याओं को समझते थे बल्कि उनसे निपटने के लिए तत्पर भी रहते थे।

विगत कुछ वर्षों में उनके चरित्र की गरिमा से खिलवाड़ किया जा रहा है। राजनैतिक मर्यादा का पतन हो रहा था। पंडित नेहरू के संबंध में अनेकानेक असत्य जनता के मस्तिष्क में ठूँसे जा रहे हैं। कमाल की बात ये है कि इस सब में युवा वर्ग का भी बढ़ चढ़ कर योगदान है। ना केवल पंडित जी देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे बल्कि इस देश के लोकतन्त्र के आधार भी हैं। उनके चरित्र को धूमिल करने से, उनके द्वारा दिये गए योगदान को इतिहास से नहीं मिटाया जा सकता।

हमारे देश ने अनेकों युद्ध सहे हैं, अनेकों बार इस सोने की चिड़िया को हथियाने की कोशिश की जा चुकी है। फारसी, यूनानी, पुर्तगाली, अफगानी, मुग़ल, और फिर अंग्रेजों से जूझते हुए स्वतंत्र होने के बाद जब देश ने आज़ादी की हवा में सांस ली और पंडित जी ने देश की बागडोर संभाली, तब भारत की इतनी हैसियत भी नहीं थी कि हम अपने आप ही इस देश में सुई और धागे जैसी चीज़ भी बना सकें। पर प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने ना सिर्फ देश को संभाला बल्कि आपने कुशल नेत्रत्व में देश की उन्नति के लिए कार्यरत हो गए।

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्स (AIIMS), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी (IIT), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी (NIT), भारत को उनके प्रमुख योगदानों में से हैं। इसके अलावा उनके पाँच वर्षीय कार्यक्रम में देश के सभी बच्चों के लिए मुफ्त प्राथमिक शिक्षा का भी प्रावधान था। हिन्दू सिविल कोड में लाये गए उनके परिवर्तनों के कारण ही हिन्दू विधवाओं को संपत्ति और उत्तराधिकार में पुरुष के बराबर स्थान मिला। जाती भेद को भी अपराध का दर्जा देने के लिए उन्होने हिन्दू लॉ में परिवर्तन किए। 
    
उन्होने आधुनिक विचारों और मूल्यों को व्यक्त किया, धर्मनिरपेक्षता पर ज़ोर दिया, भारत की मूल एकता को बल दिया, और जातीय और धार्मिक विविधता के मुक़ाबले, भारत को वैज्ञानिक नवाचार और तकनीकी प्रगति की आधुनिक उम्र की ओर ले गए।

पंडित जी एक सम्पन्न परिवार से संबंध रखते थे, उनके पिता के साथ-साथ उन्हें आपने मात्रपक्ष की भी संपत्ति का उत्तराधिकार मिला। उनके पिता की मृत्यु के बाद उनके पास अपना खर्च चलाने के लिए उनकी लिखी हुई किताबें ही एकमात्र आय का साधन थीं। वो उन व्यक्तियों में से थे जो अपने घर में रात को खिड़की के समीप ज़मीन पर सोया करते थे जिससे कि उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए एयर कंडीशनर का खर्च देश को ना उठाना पड़े।   

“हमारा अपना देश समस्याओं से भरा है, खास तौर से हमारे सभी अनगिनत लोगों को एक अच्छा जीवन दे पाना। वो तब ही हो सकता है जब यहाँ शांति हो, तो हमारे लिए शांति जुनून है। मात्र एक जुनून नहीं बल्कि कुछ ऐसा जिसकी तरफ हमारा मस्तिष्क और तर्क हमें ले जाए और वो हमारी उन्नति के लिए आवश्यक हो।“

राजनीति के गिरते हुए स्तर में हालात ये हैं कि उनकी बहन श्रीमति विजयलक्ष्मी पंडित, भांजी नयनतारा, के साथ आलिंगन और चुंबन के चित्रों से उनके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं। लेडी माउंटबेटन के साथ उनके रिश्तों की वीभत्स व्याख्या की जाती है। उन्हें अपनी पत्नी श्रीमति कमला नेहरू की मृत्यु का कारण बताया जाता है। जबकि जिस समय श्रीमती कमला नेहरू टीबी के कारण अस्वस्थ हुईं उस समय पंडित जी जेल में थे। उनकी पत्नी के गिरते हुए स्वास्थ के कारण जेल से रिहा किया गया जिसके बाद वो अपनी पत्नी का इलाज कराते हुये उनके साथ रहे पर उन्हें बचा नहीं पाये।

देश, संविधान, शांति, सौहाद्र सभी का ज्ञान, मान और चिंता उनके भाषणों में स्पष्ट दिखती रही है।

मेरा मानना है की मूल बात यह है कि अनुचित साधन सही नतीजे तक नहीं ले जा सकते। यह अब केवल एक नैतिक सिद्धांत नहीं है, बल्कि एक व्यावहारिक प्रस्ताव है। इस प्रकार हिंसा आज संभवतः किसी भी बड़ी समस्या के समाधान के लिए नेत्रत्व नहीं कर सकती, क्यूंकी हिंसा बहुत भयानक और विनाशकरी हो गई है। सवाल उठता है कि हमारा अंतिम उद्देश्य क्या होना चाहिए।“  

क्षोभ होता है मुझे जब अराजक तत्व सोशल मीडिया पर उनके प्रति असम्मान जताते हुए उन्हें नेहरू-नेहरू कह के संबोधित करता है और उनके प्रति अफवाहें फैलाते हैं। वो पंडित नेहरू थे तुम्हारे घर के नौकर नहीं। उनके प्रति असम्मान केवल उनका नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के पद का भी है। कुछ समय पहले तक पंडित के संबंध में बच्चों को उनकी किताबों में पढ़ाया जाता था। अब उनके चाचा नेहरू को उनकी किताबों से दूर कर दिया गया है। कितने भी प्रयास कर लिए जाएँ भारत के लिए उनके योगदान को छुपाने के और इतिहास की किताबों से उन्हें मिटाने के, पर लोग ये कैसे भूल जाते हैं कि वो इतिहास से नहीं है, भारत का राजनीतिक इतिहास उनसे है।

“भारत के एक महान बेटे, बुद्ध, ने कहा है कि एकमात्र वास्तविक विजय वही है जिसमें हर कोई बराबर से विजयी हुआ हो और जहां किसी के लिए भी पतन ना हो। आज के विश्व में ये ही यथार्थवादी विजय है, इसके अतिरिक्त कोई अन्य मार्ग केवल विनाश कि ओर ले जाएगा।“ 


3 टिप्‍पणियां:

  1. देश के पहले प्रधानमंत्री थे हमारे चाचा नेहरु I उन्होंने ने तब कार्य किया जब देश का शैशव काल था I आज हमारा देश युवा हो गया है I जैसे समाज में देखने को मिलता है कि युवा वर्ग अपने पिता से कहता है " तुमने हमारे लिए क्या किया, जो कुछ पाया है अपनी मेहनत से पाया है" बिलकुल उसी तरह से वर्तमान देश के कर्णधार समस्याओं से जूझकर समाधान करने के पहले चिल्लाना शुरू कर देते हैं कि नेहरूजी ने क्या किया ?

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  2. Very true.
    The move to malign Pt Nehru has crossed all limits of decency which at one side shows the incompetency of the prime minister to do something significant and prove him better and on the other side his malafied intentions and rancour for the opposition party.

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  3. Well Indians excel in character assasination. We are not bothered with the fact our own character still needs to be build.

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