जब किसी के सितारे बुलंद हों तो उसके लिए
सारे रास्ते आसान होते चले जाते हैं। काबिलियत अपनी जगह और भाग्य अपनी जगह। नसीब
का खेल, किस्मत का साथ, ये सब समझना हो तो मोदी जी का उदहारण सर्वश्रेष्ठ
उदहारण है। पिछले पाँच सालों में देश के प्रति लगभग हर क्षेत्र या मुद्दे पर भाजपा
सरकार/मोदी सरकार बुरी तरह से फ्लॉप हुई है। इस फ्लॉप शो को आप शायद देख-समझ ना
पाएँ यदि आप भाजपा के अंध समर्थक हैं या फिर ज़ी न्यूज़ और रिपब्लिक से ऊपर कोई
न्यूज़ चैनल नहीं देखते, या फिर सोशल मीडिया और अखबारों के हर
झूठे आंकड़ों को बिना जांच किए सच मानते आए हैं। झूठ चिल्ला-चिल्ला कर हर रोज़ आपके
दिमाग में ठूँसा जाए तो उसे आप सच ही मानने लगेंगे। ख़ैर, बात हो रही थी भाग्य की। तो देखिये चुनाव के ठीक पहले
पुलवामा में आतंकी हमला होता है। जो देश के लिए दुर्भाग्य की बात है परंतु मोदी जी
और भाजपा सरकार के लिए ऐसा नहीं है।
इस आतंकवादी हमले के समय मोदी जी झाँसी
में चुनावी रैली कर रहे थे। फिर वो जिम कॉर्बेट में डिस्कवरी के लिए शूटिंग कर रहे
थे और उसके बाद आराम से मगरमच्छों को देखने के लिए उन्होने झील विहार किया।
पुलवामा हमले के लगभग तीन घंटे बाद मोदी जी की एक प्रतिक्रिया आयी। प्राथमिकताओं
की बात कीजिये तो देश के प्रधानमंत्री अपनी प्राथमिकताएं बड़ा संभाल कर चुनते हैं।
आखिर ऐसे ही तो नहीं वो 18-18 घंटे काम करते हैं। उसके बाद मोदी जी ने भारतीय
सेनाओं को फ्री हैंड देने की घोषणा की। जिसके लिए उनकी ढेर प्रशंसा बनती है। मोदी
जी की रैलियाँ अब भी लगातार चल ही रही थीं। अमित शाह भी अपने चुनाव प्रचार में
पुलवामा हमले को पूरी तरह से भुना रहे थे। इसके साथ ही मोदी जी नमो एप प्रोमोट कर
रहे थे। गेम लॉंच कर रहे थे और तो और शांति पुरस्कार भी बटोर रहे थे। नए व्यापारिक
संबंध जोड़ रहे थे वो भी उससे जो पाकिस्तान को असलहा मुहैया कराता है।
12 दिन बाद वायु सेना के द्वारा पाकिस्तान
अधिकृत कश्मीर में घुस कर वहाँ चल रहे आतंकवादी संगठनों के ठिकानों पर एयर
स्ट्राइक की गयी। मीडिया ने 200-600 तक आतंकियों के मारे जाने के आंकड़े दिये पर
सरकार या रक्षा मंत्रालय से अब तक कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया गया। मोदी जी अब
भी रैली में व्यस्त थे। पर वायु सेना के शौर्य का क्रेडिट लेना वो और अन्य भाजपाई कहीं
नहीं भूले। उसके ठीक अगले दिन पाकिस्तान की वायु सेना एल.ओ.सी. पार कर बम गिराती
है और भारतीय वायु सेना उनके लड़ाकू जहाजों को खदेड़ भगाती है। मोदी जी अब बीजेपी की
सबसे विशाल वीडियो कोन्फ्रेंस में व्यस्त थे और “मेरा बूथ सबसे मज़बूत” का मंत्र दे
रहे थे। इस सब में पाकिस्तानी वायु सेना का एफ-16 विमान मार गिराते हुए भारतीय
वायु सेना का एमआईजी-2 विमान भी क्रेश हो जाता है। ईश्वर की कृपा से उस विमान का
पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान सकुशल लैंड तो कर जाता है पर पाकिस्तान की ज़मीन
पर। मोदी जी अब भी चुनावी रैली कर रहे थे। इतना कुछ होता रहा और एक बार भी हमारे
प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र दामोदर मोदी को देश को संबोधित करने का अवसर
नहीं मिला या संभवतः उन्हें अवश्यकता ही महसूस नहीं हुई। पी.एम.ओ, रक्षा मंत्रालय आदि की जिन बैठकों का ब्योरा मीडिया
देती रही, उनसे संबन्धित कोई डेटा आज तक सरकार की
ओर से नहीं आया।
भारतीय वायु सेना के वीर विंग कमांडर
अभिनंदन वर्थमान आज सकुशल भारत लौट रहे हैं। ये हमारे लिए संतोष और प्रसन्नता की
बात है। मीडिया हमें बताती रही कि पाकिस्तान से किसी भी तरह की बातचीत नहीं की
जाएगी। हमारा पायलट सकुशल नहीं लौटाया तो अंजाम बुरा होगा। आदि-इत्यादि। क्या लगता
है? पाकिस्तान इन धमकियों से डर गया और 36
घंटे के भीतर ही उसने हमें हमारा पायलट लौटाने की आधिकारिक घोषणा कर दी। जिस
प्रधानमंत्री को चुनावी रैली और प्रचार और सेना के शौर्य का क्रेडिट भुनाने से
फुर्सत ही नहीं मिली, उससे पाकिस्तानी सेना और प्रधानमंत्री डर
कर हमारा पायलट लौटाने को तैयार हो गए। जो देश पहले से ही आर्थिक रूप से ध्वस्त है, जिसके पास उसके फाइटर प्लेन्स में ईंधन भरवाने के लिए
भी पैसा नहीं है, जिसकी छवि पूरे विश्व में बिगड़ी हुई है
और वो खुद भी आतंकवाद की मार झेल-झेल कर दयनीय स्थिति में है, वो आखिर करेगा क्या?
झुकना उसके लिए इस समय की मजबूरी है। इस सब में मोदी जी का क्या किसी भी तरह का
रोल है?
क्या लगता है इस सब में मोदी जी को छवि
संवारा है? जी नहीं,
इस सब में असल में इमरान खान ने अपनी और पाकिस्तान की बिगड़ती हुई छवि को सुधारा
है। भले ही वो आतंकवाद को पालता आया है पर इस समय सारे विश्व में उसने ये मिसाल रख
दी कि भारतीय प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे और उन्होने शांति स्थापना
के लिए हमारे पायलट को अतिशीघ्र सकुशल लौटा दिया। हर कोई बस अपनी सियासत मज़बूत
करने में लगा है। सत्ता-सत्ता और सत्ता। बस यही एक मात्र लक्ष्य है।
अब मेरा सवाल ये है कि यदि मोदी जी का
गुणगान होना चाहिए तो क्यूँ? पठानकोट हमले के बाद वो साड़ी और शौल का
आदान प्रदान कर रहे थे। गुरदासपुर हमले के बाद वो शरीफ के जन्मदिन के जश्न में
शरीक हो रहे थे। मुझे ये भी पूछना है कि जब इंटेलिजेंस को पुलवामा हमले की पहले से
भनक थी तो क्यूँ सी.आर.पी.एफ. के काफिले को सड़क मार्ग से भेजा गया? उन्हें एयर लिफ्ट क्यूँ नहीं कराया गया। यहाँ तक कि
उनके इस प्रार्थना पत्र का कोई जवाब ही
नहीं दिया गया जिसमें सी.आर.पी.एफ. ने एयर लिफ्टिंग की मांग की थी।
जब भी देश की सुरक्षा का मुद्दा आता है तो
हम भारतीय या किसी भी देश की जनता बाकी सब भूल जाती है। क्यूंकी विकास, शिक्षा और रोज़गार,
देश सुरक्षा के आगे उतना महत्त्व नहीं रखते। जब भी मोदी जी ये कहते हैं कि देश
सुरक्षित हांथों में है, मुझे याद आ जाता है “गोधरा कांड।“ मुझे
याद आ जाता है “पठानकोट, गुरदासपुर और पुलवामा।“ मुझे याद आ जाता
है देश के भीतर हुआ हर वो हिन्दू-मुस्लिम विवाद जिसके कारण देश में पिछले पाँच
सालों से लगातार अस्थिरता है। सच्चे आंकड़े उठा कर देखिये पिछले पाँच सालों में
कश्मीर के अंदर से ही आतंकवादियों के पनपने में 93% की बढ़त हुई है। भारत के अब तक
के इतिहास में सबसे अधिक जवान शहीद हुए हैं, साधारण जनता मारी गयी है। पाकिस्तान ने
अनगिनत बार शांति का उल्लंघन किया है। चीन ने कई बार घुसपैठ और भारतीय धरती पर
कब्ज़ा करने का प्रयास किया है।
मैं कैसे मान लूँ कि देश सुरक्षित हांथों
में है?